Friday, June 3, 2011

अंधी जनता तो है?


अंधी जनता तो है?

देश की चिंता 
भ्रष्टाचार है नारा
अपना स्वार्थ  

हम सन्यासी 
आसन होगा ऊँचा 
जनता मूर्ख 

होड़ लगी है 
मैं बनूँ लोकप्रिय  
मिडिया खुश 

हम फक्कड़
अंधी जनता तो है  
करोड़ों खर्चो 

लोकप्रियता
अपना हथियार 
है अनशन  

-कुसुम ठाकुर-

Monday, May 30, 2011

ममता


ममता माँ की 
निःस्वार्थ सतत ही 
है अनमोल 

गोद समेटे 
धरा और जननी 
यही शाश्वत

दिव्य नर्मदा 
अचल हिमालय 
भारत भूमि 

अतिथि सेवा 
है संस्कार युगों से 
मानो सौभाग्य 

शून्य दिया है 
आयुर्वेद औ योग 
रहो विनम्र 

-कुसुम ठाकुर-


Wednesday, April 13, 2011

अंतर्मन में झांको

"अंतर्मन में झांको" 

अन्ना की सोच 
बना है राजनीति 
मनन करो 

परिणाम क्या 
है सबको मालूम 
हैं आशावादी 

मिला है मंच 
क्यों न करें ऐलान
धरा सपूत  

है आम कौन 
उसका न अस्तित्व 
धैर्य तो धरो 

जनता मूर्ख
मिला सबको मुद्दा
बहस करो 

गाँधी का नाम 
नेहरु बदनाम 
यों भिड़े रहो  

दलित बने 
अब आम आदमी 
यह भी जोड़ो 

हो आरक्षण 
तो आम बनो तुम
तो है धिक्कार  

सोच बदलो 
अंतर्मन में झांको 
तो हो कल्याण 

- कुसुम ठाकुर-

Thursday, March 3, 2011

अछि सन्देश



"अछि सन्देश"

समृद्ध भाषा 
मैथिली मिथिलाक
जायत हेरा

लाज होइछ
बाजब कोना भाषा
पढ़ल हम

दोषारोपण
नेता अभिभावक
नहि कर्त्तव्य

देशक नेता
  नहि जनता केर
स्वार्थे डूबल  

करू ज्यों स्नेह
माँ आ मात्रि भाषा सँ
संकल्प लिय

आबो तs जागू 
मिथिला केर लाल
प्रयास करू

अबेर भेल
तैयो विचार करू    
अछि सन्देश

 - कुसुम ठाकुर- 

Monday, February 28, 2011

कर्म ही छोटा


"कर्म ही छोटा"

घोटाले बने
पर्याय नेताओं के
क्षुब्ध जनता

न छोड़े कोई 
ज्यों मौक़ा कभी मिले 
वर्ना सन्यासी  

है लूट मची 
जनता भी है अंधी 
न खोले आँख 

देखा किसने 
फल भी क्या मिलता 
न देखा जन्म

आह लिया है 
ख़ुशी की परिभाषा 
न जाने वह 

है दोषी कौन 
जब शीर्ष ही खोटा 
बिका ईमान  

है नाम बड़ा 
कैसे शान बढाए 
कर्म ही छोटा 



-कुसुम ठाकुर-