Wednesday, April 13, 2011

अंतर्मन में झांको

"अंतर्मन में झांको" 

अन्ना की सोच 
बना है राजनीति 
मनन करो 

परिणाम क्या 
है सबको मालूम 
हैं आशावादी 

मिला है मंच 
क्यों न करें ऐलान
धरा सपूत  

है आम कौन 
उसका न अस्तित्व 
धैर्य तो धरो 

जनता मूर्ख
मिला सबको मुद्दा
बहस करो 

गाँधी का नाम 
नेहरु बदनाम 
यों भिड़े रहो  

दलित बने 
अब आम आदमी 
यह भी जोड़ो 

हो आरक्षण 
तो आम बनो तुम
तो है धिक्कार  

सोच बदलो 
अंतर्मन में झांको 
तो हो कल्याण 

- कुसुम ठाकुर-