Monday, May 30, 2011

ममता


ममता माँ की 
निःस्वार्थ सतत ही 
है अनमोल 

गोद समेटे 
धरा और जननी 
यही शाश्वत

दिव्य नर्मदा 
अचल हिमालय 
भारत भूमि 

अतिथि सेवा 
है संस्कार युगों से 
मानो सौभाग्य 

शून्य दिया है 
आयुर्वेद औ योग 
रहो विनम्र 

-कुसुम ठाकुर-