ममता माँ की
निःस्वार्थ सतत ही
है अनमोल
गोद समेटे
धरा और जननी
यही शाश्वत
दिव्य नर्मदा
अचल हिमालय
भारत भूमि
अतिथि सेवा
है संस्कार युगों से
मानो सौभाग्य
शून्य दिया है
आयुर्वेद औ योग
रहो विनम्र
-कुसुम ठाकुर-
बहुत ही प्रभावशाली है सभी हाइकू!
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सुन्दर हाईकू
ReplyDeleteबहुत अच्छे हाइकू...
ReplyDeleteअच्छे है सभी हाईकू. एकदम सटीक भाव. शुभकामनायें.
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