अंधी जनता तो है?
देश की चिंता
भ्रष्टाचार है नारा
अपना स्वार्थ
हम सन्यासी
आसन होगा ऊँचा
जनता मूर्ख
होड़ लगी है
मैं बनूँ लोकप्रिय
मिडिया खुश
हम फक्कड़
अंधी जनता तो है
करोड़ों खर्चो
लोकप्रियता
अपना हथियार
है अनशन
-कुसुम ठाकुर-
सच्चाई को बड़े ही सुन्दरता से प्रस्तुत किया है आपने! शानदार हाइकु!
ReplyDeleteकुसुम ठाकुर जी!
ReplyDeleteआपके हाइकुओं में युगबोध है.....एक नवीन प्रकार का शोध है।
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’व्यंग्य’ उस पर्दे को हटाता है जिसके पीछे भ्रष्टाचार आराम फरमाता है।
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http://dandalakhnavi.blogspot.com/
सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
कुसुम ठाकुर जी,
ReplyDeleteदमदार हाइकुओं के माध्यम से आपने अपनी बात कही है. व्यंग का भी जगह-जगह अच्छा समावेश है.
- शून्य आकांक्षी
bahut hi sundar.kusum, .shabd shabd me arth hi arth hai........
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