Monday, September 13, 2010

सुख औ दुःख !!



" सुख औ दुःख " 

सुख औ दुःख 
जीवन के दो पाट 
तो गम कैसा 

चलते रहो 
हौसला ना हो कम 
दूरियाँ क्या है 

लक्ष्य जो करो 
ज्यों ध्यान तुम धरो 
मिलता फल 

हार ना मानो 
ज्यों सतत प्रयास 
मंजिल पाओ 

कर्म ही पूजा 
उस सम ना दूजा 
कहो उल्लास 

ध्यान धरो 
बस मौन ही रहो 
पाओ उल्लास 

- कुसुम ठाकुर -

2 comments:

  1. बहुत ही सोच के साथ, समज के साथ, जीवन को सही मायने में जीने के लिएँ मर्गार्शक बनाने वाले ये हाईकू hai | जितनी बार पढो... मजा आएगा...

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