"हो अनमोल "
हो तुम मीत
कहूँ मैं बारम्बार
न भाये तुम्हे
तुम गंभीर
न कभी कुछ कहो
यह स्वभाव
मुझे विश्वास
आहत क्यों मैं करूँ
मेरा स्वभाव
मुझे तो लगे
दिलाऊं जो विश्वास
समझो तुम
हो अनमोल
न बूझो अतिश्योक्ति
ह्रदय कहे
लाये ये दिन
खुशियाँ हर वर्ष
प्रार्थना यही
- कुसुम ठाकुर -
तुम गंभीर... मेरा स्वभाव... लाये ये दिन... बहुत सुन्दर विचारो से बने हाईकू....
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