Tuesday, November 30, 2010

हो अनमोल


"हो अनमोल "

हो तुम मीत 
कहूँ मैं बारम्बार 
न भाये तुम्हे

तुम गंभीर 
न कभी कुछ कहो 
यह स्वभाव 

मुझे विश्वास 
आहत क्यों मैं करूँ 
मेरा स्वभाव 

मुझे तो लगे 
दिलाऊं जो विश्वास 
समझो तुम 

हो अनमोल 
न बूझो अतिश्योक्ति 
ह्रदय कहे 

लाये ये दिन 
खुशियाँ हर वर्ष 
प्रार्थना यही 

- कुसुम ठाकुर - 

1 comment:

  1. तुम गंभीर... मेरा स्वभाव... लाये ये दिन... बहुत सुन्दर विचारो से बने हाईकू....

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