Tuesday, September 14, 2010

शिष्य देखल !!


"शिष्य देखल "

विद्वान छथि  
ओ शिष्य कहाबथि  
छथि विनम्र 

गुरु हुनक 
सौभाग्य हमर ई 
ओ भेंटलथि

इच्छा हुनक 
बनल छी माध्यम
तरि जायब 

भरोस छैन्ह 
छी हमर प्रयास
परिणाम की ?

भाषा प्रेमक 
नहि उदाहरण 
छथि व्यक्तित्व 

छैन्ह उद्गार
देखल उपासक  
नहि उपमा 

कहथि नहि
विवेकपूर्ण छथि 
उत्तम लोक  

सामर्थ्य छैन्ह 
प्रोत्साहन अद्भुत 
हुलसगर

प्रयास करि 
उत्तम फल भेंटs 
तs कोन हानि 

सेवा करथि 
गंगाक उपासक 
छथि सलिल 

- कुसुम ठाकुर -

6 comments:

  1. waah !

    bahut khoob !

    kusum ji ka yahaan bhi swaagat hai

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  2. इस सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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  3. वाह ! बहुत सुन्दर ....आभार आपका
    यहाँ भी पधारे
    विरक्ति पथ

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